How the Family Should Help the Stroke Victim?
रक्ताघात पीड़ित के परिवारीजन को क्या क्या करना चाहिये?
निम्नलिखित कुछ सुझाव परिवार वालों के लिए दिये गए हैं ताकि वे घर में और घर के बाहर रोगी की उचित रूप से देखभाल कर सकें, जिससे कि रोगी अपने भाषा कौशल एवं काम कर पाने की क्षमता में सुधार ला सके।
- वाचाघात और फ़ालिज के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करें।
- रोगी की शारीरिक असमर्थता व बोलने तथा समझने की सीमाओं को समझें।
- फ़ालिज के बाद यथाशीघ्र एलोपैथिक डॉक्टर या स्नायु रोग विशेषज्ञ (Neurologist) से मिलें। अगर घर के पास कोई एलोपैथिक डॉक्टर न हो तो सिविल अस्पताल में जाएँ। जहाँ तक और जितनी जल्दी सम्भव हो रोगी को स्नायु रोग के डॉकटर को दिखाएँ। उचित होगा अगर उस अस्पताल में पुनर्वास (Rehabilitation) की सुविधा भी हो।
- फ़ालिज के बाद यथाशीघ्र रोगी के लिए डॉक्टर के इलाज के अलावा पुनर्वास के लिए शारीरिक (Physical Therapist), व्यावसायिक (Occupational Therapist) एवं वाक्-चिकित्सक (Speech-Language Pathologist) की सहायता लें।
- रोगी को बोलने का पूरा अवसर दें। रोगी के बात करने या चलने फिरने के हर प्रयास की प्रशंसा करें। रोगी को ‘नमस्ते’ या ‘मैं ठीक हूँ’, ‘गिनती गिनना’ या ‘दिनों के नाम बताना’ जैसी सरल और स्वाभाविक अभिव्यक्तियों के लिए प्रेरित करें।
- छोटे-छोटे प्रयासों की भी प्रशंसा करके रोगी को आत्मनिर्भर बनाने में पूरी सहायता करें।
- जहाँ तक संभव हो डॉक्टर की सहमति से रोगी को व्यस्त रखें लेकिन ध्यान रखें कि उसे व्यस्तता से ज्यादा थकावट न हो।
- रोगी की दिनचर्या नियमित रखें। नियमित दिनचर्या में रोगी स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है और इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है।
- रोगी की दिनचर्या में उसे आराम के लिए अवसर दें। आराम के बाद रोगी की भाषाई और शारीरिक क्षमता ज्यादातर अच्छी होती है। आराम करने के बाद परिवारीजन उसे बात करने तथा बात समझने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
- याद रखें कि रोगी वयस्क है अतः उसके साथ बड़ों जैसा ही व्यवहार करें। पहले की तरह ही उसे परिवार का एक अनिवार्य एवं महत्वपूर्ण सदस्य समझें। किसी भी निर्णय की प्रक्रिया में उसे पहले की ही तरह शामिल करें और उसके विचारों को पूरी तरह महत्व दें।
- रोगी की भावनाओं और इच्छाओं का पूरा आदर करें। बातचीत एवं समझने की अक्षमता से परेशान रोगी अक्सर लोगों से नहीं मिलना चाहते, उन्हें धीरे-धीरे बातचीत में शामिल करें।
- फ़ालिज के रोगी अक्सर गालियों का प्रयोग करते हैं। गालियों का प्रयोग उनके लिए एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है और इस पर उनका वश नहीं होता है। मित्रों और परिवार के लोगों को इन गालियों का बुरा नहीं मानना चाहिए । रोगी को इसी रूप में स्वीकार करें और उसकी हँसी न उड़ायें।
- अगर रोगी बिना किसी कारण के रोने या हँसने लगे तो उसकी तरफ ध्यान न दें तथा बातचीत के मुद्दे को बदल दें।

